एक मुद्दत के बाद
रु-बा -रु हुए हैं तुमसे
क्या आज भी तुम वैसे ही हो
जैसे कल थे
क्या आज भी
बारिश में तुम्हे गाना अच्छा लगता है?
क्या आज भी अचानक बिना बात
तुम्हे मुस्कुराना अच्छा लगता है?
आज भी तुम छनछनाती पायल के साथ चलती हो?
वह धुंधले से चाँद को देख कर
ख़ुशी से उछलती हो?
या अब नहीं रही तुम में वो बात
वो दिल से हंसना वो रोना बिन बात
इक मुद्दत के बाद
रु-बा-रु हुए हैं तुमसे
जाने चले गए थे कहाँ
फासले कैसे होते हैं बयां
जितना बढ़ाओ
लगते हैं कम से
क्या आज भी
तुम्हारी आँखों में चमक सी है?
क्या आज भी तुम में वो अदा वो कशिश सी है?
आज भी तुम मुझे देख कर वैसे ही मुस्कुराओगी
या पेह्चानोगी भी नहीं
किसी के कानो में फ़ुसफ़ुसाओगी
या तुम कोई और बन गयी हो
वक़्त के बहाव में
थम सी गयी हो
इक मुद्दत के बाद
रु-ब-रु हुए हैं तुम से
क्या तुम पहचानती हो मुझे
कल हम तुम थे
क्या आज भी तुम्हारे कानों में
वो बाली चमकती है
चेहरे पे चमक
दिल में आग भभकती है
आज भी तुम सोती हो उस तकिये के साथ
जिस पे धीमे से मुस्कुराती थी
हर सपनो भरी रात
या तुमने नींद को कहीं पीछे छोड़ दिया
शायद ज़िन्दगी ने कुछ ज़्यादा रंग दिया
इक मुद्दत के बाद
रु-बा-रु हुयें हैं तुमसे
ना देखा था आसमां
जैसे कब से
क्या आज भी तुम उड़ने की हिम्मत रखती हो
बहती नदी में
आज भी फुदकती हो?
आज भी ढलती रात में
तुम्हे कुछ नशा सा
आज भी बादलों को देखना
तुम्हे अच्छा लगता है?
या बंद दीवारों को अपना बना तुमने
उन भीगे से गालों के ढलते यौवन में
इक मुद्दत के बाद
रु-बा-रु हुए हैं तुमसे
क्या आज भी तुम वैसी ही हो
जैसे कल थे एक मुद्दत के बाद
रु ब रु हुए हैं तुमसे
क्या आज भी तुम वैसे ही हो
जैसे कल थे
written by - MYSTICAL WANDERER
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