Friday, November 21, 2014

वो मदहोशी


शाम की अँधेरी ख़ामोशी
वो भीनी सी ख़ुशी
वो मदहोशी
अंधेरों में खोया चाँद वहां
सुनहरा, उजला, उड़ता सा धुंआ
समुन्दर की ठंडी हवाएं
चुपके से आएं
हौले से गुनगुनाएं
वो तेरा भीगा सा हाथ
हर वक़्त इक तेरा साथ
ठंडी रेत में दौड़ना हमारा
वो लहरों से बातें
वो प्यार ढेर सारा
कानों में तेरा धीरे से बुदबुदाना
यूँ करीब आ कर
सांसों से गुदगुदाना
आज भी हवा हम से
यूँ ही बातें करती है
आज भी वो लहरें
ऊपर से गुज़रती हैं
तू नहीं है
फिर भी है साथ
कैसे महसूस करती हूँ
वो तेरा साथ
कैसे लगता है
कि कोई कुछ कह रहा है
कैसे हर पल लगता है
कि वो ही पहर है
जब तू था साथ
हाथों में ले के हाथ
और हम हवा से बातें करते the
कभी तो हम खुश हुआ करते थे
शाम कि अँधेरी ख़ामोशी
वो भीनी सी ख़ुशी
वो मदहोशी



Written By - Mystical Wanderer


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