Thursday, November 27, 2014

खुशियाँ भी अजीब होती हैं


खुशियाँ भी अजीब होती हैं
कभी इतने करीब
कभी इतना दूर होती हैं
कभी अचानक
खूब सज कर
घर पर आती हैं
कभी न जाने क्यों 
दर्द भरे गीत गाती हैं
कभी चहक कर देखती हैं
वो आँखों में चमक लिए
कभी अचानक तरसती हैं
जाने क्या गम लिए

खुशियाँ भी अजीब होती हैं
कभी इतने करीब
कभी इतना दूर होती हैं
कभी पूछती हैं हमसे
क्या हाल जनाब
सब सही से?
कभी यूँ गले लगाती हैं
जैसे ना मिले हों
जाने कब से
पर कभी वो हमारा 
पता भूल जाती हैं
कभी कभी हमें
वो बहुत याद आती हैं

खुशियाँ भी अजीब होती हैं
कभी इतने करीब
कभी इतना दूर होती हैं
कभी नज़र चुराकर
हमसे कुछ छुपाती हैं
कभी जाने क्या सोच कर
यूँ पास चली आती हैं
कभी तो बटुए में
अचानक घुस जाती हैं
कभी दिल में यूँ अचानक
जाने क्या गुनगुनाती हैं
और कभी अचानक 
वो ओझल सी हो जाती हैं
लाख उन्हें पुकारो
फिर भी ना आती हैं

खुशियाँ भी अजीब होती हैं
कभी इतने करीब
कभी इतना दूर होती हैं


Written by - Mystical Wanderer


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