Friday, November 21, 2014

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं हमसे है


इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
हमसे है
और हमें शिकवा भी तुमसे नहीं
 हमसे है
शायद तुम सोच रहे होगे
की तुम सही हो
हो सकता है यही सही हो
आखिर हम तुम्हे आंकने वाले
होते कौन हैं
ज़िन्दगी की इस भीड़ में
तुम्हे अपना बुलाने वाले
आखिर हम होते कौन हैं

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
 हमसे है
और ज़िन्दगी का शिकवा भी तुमसे नहीं
हमसे है
वरना क्यों आज भी हम तेरी राह देखते
क्यों आज भी हर रात तुझे ही सोचते
क्यों दोहराते मन ही मन
वो वक़्त तुम्हारे साथ
क्यों करते चुपके चुपके
मन में तुमसे बात

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
हमसे है
शायद हमें प्यार भी तुमसे नहीं
 हम ही से है
क्यों सोचते वरना खुद की ख़ुशी
क्यों चोरटे वो ताने
वो गम की गली
तुम तो थे
और वो सब झूठे नाम भी थे
हाँ तुम्हारा साथ तोह था
और हमारे खोखले रिश्ते के कई नाम भी थे

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
हमसे है
शायद अब हम हम नहीं
कुछ कम से हैं
 वरना ना हम कभी तुम्हारे पास आते
ना ज़िन्दगी में वह ख़ुशी वह गम आते
ना जानते तुमको और तुम्हारा साथ
ना चाहते वो सब कुछ तुम्हारे साथ

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
हमसे है
शायद यही था होना
जो हुआ हमसे है
वरना क्यों हम ये कदम उठाते
क्यों तुमसे तोड़ते वो सदियों के नाते
क्यों ना माफ़ कर पाते
तुम्हारी लाखों खतायें
क्यों नहीं रहते तुम्हारे पास
जिसे हम इतना चाहें

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
हमसे है
क्यूंकि फरेबी नहीं होता
तो तुम में न खोता
वरना तो हम भी जानते थे
जीने की कला
पर हम तो चाहते थे
जीने मरने का सिलसिला
शायद तभी तुम ज़िन्दगी में आये
और बन गए वो अधूरे से साये

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
हमसे है
पर फरेबी ही सही
ये दिल तुमसे नहीं  हमसे है
और अब तुम हम में समां नहीं सकते
वो गुज़रा वक़्त वापस हम ला नहीं सकते
हाँ अलविदा कह सकते हैं तुम्हे हमारे साथ
वो धुंधली सी यादें वह भीगी सी रात

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
 हमसे है
फरेबी थे तुम
फरेबी से हम खुद से हैं
पर अब होगी एक नयी सुबह एक नयी शाम
और हम और तुम करेंगे एक लम्बा आराम
देखो देखो सुबह इंतज़ार कर रही है
हाँ शाम उसे धीमे से कुछ कह रही है
लगता है वो कभी साथ रहते थे
शायद उनमें आप रहते थे

इस दिल का फरेब तुमसे नहीं
 हमसे है
लेकिन आप ही के जैसे
मेरा दिल भी तुमसे नहीं
 हमसे है
हाँ अब है हमारा वक़्त अजीब
ना तुम हो जो मेरे करीब
पर दिल में फिर भी तुम ही रहते हो
फुसफुसा कर शायद कुछ कहते हो
और हम मुस्कुरा से देते हैं
रात के सन्नाटों में
देखते हैं तुमको सपनो में उन रातों में

इस दिल का फरेब  तुमसे नहीं
 हमसे है
चलो इसे भी माफ़ कर देते हैं
क्यूंकि इश्क़ हमसे तुमसे ज़्यादा
खुद से है


Mystical Wanderer

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