Thursday, November 27, 2014

कुछ पलों के अपने


हाँ देखे मैंने
वो दौड़ते अरमान
वो भीगे सपने
वो दिल दहला देने वाले
कुछ पलों के अपने
दरिया में डूबती नाव
रेत पे दौड़ते सांप
जंगल की अँधेरी raat
समुन्दर का वो खौफ

हाँ देखे हैं मैंने 
वो दौड़ते अरमान
वो मुस्कुराते चीते
मौत को खींचे
वो बादल की आवाज़
वो बारिश जैसे तेज़ाब
सागर में भभकती आग
वो आँखों में सैलाब
रातों में शबाब

हाँ देखे हैं मैंने
वो दौड़ते अरमान
गुनगुनाते ततैये
उस दर्द को  लिए
मौत से बत्तर ज़िन्दगी
खोई राहें और आवारगी
वो दर्द भरी क़रर्राह
वो जबरन निकाह
खोई सी एक निगाह

हाँ देखे मैंने
वो दौड़ते अरमान
जिस्म पे वो लाल निशाँ
कानों को चीरते बयान
वो जिस्म की नुमाइश
डूबती सी ख्वाहिश
पानी से फूली लाश
आँखों में काश
जैसे न बुझी हो - कोई प्यास

 हाँ देखे मैंने
वो दौड़ते अरमान
वो भीगे सपने
वो दिल देखला देने वाले
कुछ पलों के अपने


Written by - Mystical Wanderer

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