Wednesday, November 19, 2014

घर में लगा है दरवाज़ा


उस अँधेरी सी चौखट
की छोटी सी मुस्कान
घर में लगा है दरवाज़ा
मोहल्ले की आन
अब तो मुझे
कोई देख नहीं पायेगा
जो भी झांकेगा
वापस लौट जायेगा
अब मई चैन से सोऊंगा
और मेरे बच्चे भी तो होंगे
और फिर उनकी भी तो शादी करनी होगी
तब मई नयी दीवार बनाऊंगा
एक नया दरवाज़ा लाऊंगा

कल तक हम खुले में सोते थे
खुले आम जीते मरते थे
खुले में रोते थे
तब आंसू गिराने को दीवार नहीं थी
कभी कभी तो इसी बात पे रोते थे
पर अब दरवाज़ा आ गया है
अब रोने में मज़ा भी आएगा
खुल कर रोऊंगा आज
लेन - देन सब बाद में देखा जायेगा
जब रो- हंस के थक जाऊंगा
तो फिर खूब नाम कमाऊँगा
इतने पैसे कमाऊँगा
और सब को जलाउंगा
तब मैं नयी दीवार बनाऊंगा
एक नया दरवाज़ा लाऊंगा

अरे अरे ये क्या
ये बारिश कहाँ से आ गयी
अरे गीली चौखट थी
ये आंधी कहाँ से चा गयी
क्या करूँगा मैं अब
कैसे ये बात बताऊंगा
टूट गया है मेरा दरवाज़ा
अब तो मैं रो भी न पाउँगा
कितनी अच्छी थी न वो चौखट
इतनी मुश्किल से बानी थी
उसके बिना ना जी सकूंगा
ना मर पाउँगा
अब मैं उसका वो प्यार
कैसे भूल पाउँगा

अब मैं नयी दीवार बनाऊंगा
एक नया दरवाज़ा लाऊंगा



Mystical Wanderer

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