तो ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं रहती
कुछ सपने कुछ अरमान न हों
तो मुस्कुराने की वजह नहीं रहती
थोड़ा प्यार तो ज़रूरी है
और थोड़ा गुस्सा भी
अरे उतराव चढ़ाव न हों
तो राहें राहें नहीं रहतीं
कौन चाहता है
एक बेजान सी ज़िन्दगी जीना
हर रोज़ वही काम
वो ही खाना पीना
ज़िन्दगी तो जीने का नाम है
सिर्फ सांस लेना नहीं होता है जीना
अरे सांस तो वो जानवर भी लेते हैं
और फिर पेड़ों का भी क्या कहना
सब खाते पीते आराम करते हैं
आखिर किसको कहते हैं जीना?
'सबसे बना कर रखो
अरे दुनिया में ही है जीना'
आखिर तुम कैसे ज़िंदा रह सकते हो
इस दुनिया में मौत को कहते हैं जीना
'अब उठो
अब ये करो
अब उसके पास जाओ
अब उसके काम करो'
अरे वो उठ गए
उनका खाना कौन बनाएगा
अभी व्यापार है
सबके लिए पैसा कौन लाएगा
हाँ एक दिन हम जिएंगे
जब सब काम कर लेंगे
तब हम सब छोड़ देंगे
तब हम अपनी सुनेंगे
पर आज आज वो दिन नहीं
आज वो वार है
जब उसका जन्म हुआ
जब हमे किसी से प्यार है
आज हमे उसके घर जाना है
मौत भी तो एक त्यौहार है
सब आएंगे उसकी मौत पर
सालों से नहीं मिले
आखिर आज ही वो वार है
वर्ना रिश्तेदारी कैसे निभेगी
मौत के बाद का सवाल है
'हम किसी के मरने पर नहीं जायेंगें
तो कोई हमारी मौत पर कैसे आएगा'
-ये सवाल है
हाँ एक दिन हम जिएंगे
जब सब काम कर लेंगे
तब हम सब छोड़ देंगे
तब हम अपनी सुनेंगे
पर आज वो दिन नहीं
आज हमें कुछ नया करना है
काफी दिन हुए वो करे
आज कुछ कपडा सिलना है
और वो मिटटी भी तो आ पड़ी है घर में
आज सब कुछ साफ़ करना है
हाँ कल भी किया था यही
पर क्या करें
आज ही वो वार है
जब उसने आना है घर में
अब तो काम का सवाल है
हाँ एक दिन हम जिएंगे
जब सब काम कर लेंगे
तब हम सब छोड़ देंगे
तब हम अपनी सुनेंगे
पर क्या यही है ज़िन्दगी
क्या यही है उसकी ख़ुशी
काश हम जानवर होते
आराम से उठते
आराम से सोते
कोई सफाई ना करनी होती
किसी से रिश्ता ना निभाना होता
पर हम इंसान हैं
हमें ख़ुशी और गम का ज्ञान है
हमने ही तो बनाये हैं ये शब्द
जिसमे ज़िन्दगी से ज़्यादा
मौत का सम्मान है
जिसमे इंसान जीता नहीं
मरने की कल्पना करता है
मन में रखे लाखों सपने
भट्टी सा जलता है
हाँ ख्वाहिशें तो हैं दिल में
और जीवन में कल्पना भी है
सपने भी हज़ारों हैं
दिल में संकल्पना भी है
हाँ एक दिन हम जिएंगे
जब सब काम कर लेंगे
तब हम सब छोड़ देंगे
तब हम अपनी सुनेंगे
फिर आज ही क्यों नहीं
आज भी तो एक दिन ही है
Written By - Mystical Wanderer
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