हिमाकत है ये नज़रों की
भूल कुछ पलों की
मचलती सी वो निगाहें
जब हम पर पड़ती हैं
जाने कैसा
जादू सा करती हैं
लगता है
मानो अंग अंग
छू रही हैं
लगता है
जैसे कुछ धीमे से
कह रही हैं
गुदगुदाते से वो अरमान
छूते हैं आसमान
चहकती सी वो आवाज़
जब सुनते हैं कान
इक नज़राना ही काफी है
हमें उनका हो जाने के लिए
इक आवाज़ थोड़ा दीदार काफी है
हमें मदहोश होने के लिए
साफी सी वो नज़रें
थोड़ी नशीली लगती हैं
मदमस्त सी वो पायल
कुछ ऐसा छनकती है
मचलती सी वो निगाहें
जब हम पर पड़ती हैं
हम खो जाते हैं
उनकी नज़रों में
कुछ ऐसा जादू
वो करती हैं
Mystical Wanderer
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