Wednesday, October 29, 2014

ये धुंधला सा आस्मां


ये धुंधला सा आस्मां





ये धुंधला सा आस्मां
वो ढेरो तारे
तुम्हारे ही हैं
ये दुनिया हम सारे
वह खिलखिलाती सी धूप
वो मुस्कुराती चांदनी
ओस में लिपटे फूल
वह शाम की सादगी
वो लफ़्ज़ों का चुपके से आना
वह लबों का गुनगुनाना
जुगनुओं की चमकती बारिश
खनखनाती हवा की भोली साज़िश
वो दबी सी हसीं और खुद से बातें
वो मीठी सी चाहत, ढेरों मुलाकातें
तुम्हारे ही हैं वो दिन वो रातें

कहते थे लोग सब बदलता है
इश्क़ भी कहाँ हमेशा चलता है
मांगते थे दुआ हम सौ बार
सिर्फ तुम्हे और तुम्हारा प्यार
खुद खुद से
बन बैठे थे जैसे
वो वक़्त और तुम
सब अपना था कैसे
नहीं जानते थे
की वक़्त इस मोड़ ले आएगा
जी भी न  सकेंगे
मार भी ना पायेगा
शायद उस लम्बे जाड़े से पहले
पतझड़ इस बार भी ज़रूर आएगा
तुम ही बताओ कल का सवेरा
नया क्या लाएगा
क्या तुम आओगे फिर इक बार
वो आँखों में चमक
लफ़्ज़ों में प्यार
वो जुबां पे तुम्हारे
हर वक़्त हमारा नाम
वो बाँहों में तुम्हारी
रहना सुबह शाम
ये धुंधली सी यादें
वह ढेरो सपने
तुम्हारे ही हैं
हम, तुम्हारे अपने

 - mystical wanderer


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