Wednesday, October 22, 2014

वो दो मुठी आसमां


नहीं चाहिए हमको तेरी दुनिया
तेरी आस
लौटा दो बस हमको
वो दो मुठी आसमां
वो झरोंखे भर सी सांस
नहीं चाहिए तेरी मोहब्बत
और फिर तकरार
नहीं चाहिए हमको
हर पल बदलता प्यार
नहीं चाहिए वह ढेरों सपने
फिर एक बंद दिवार
वह तेरा गुस्सा
और मेरी हार
वो ढेरों बातें
हज़ारों प्यार
वो लाखों सपने 
नहीं चाहिए हमको
वो दिन 
वो रात 
लौटा दो बस हमको
वो दो मुठी आसमा
वो शमा सी बात
हर शाम 
प्याले से जाम
हम आज भी पीते हैं
लेकिन हर पल
शायद कहीं और ही जीते हैं
नहीं चाहिए हमको
वो ख़ुशी
वो खिलखिलाहट
लौटा दो बस हमको
वो दो मुठी आसमां
वो भीनी सी चाहत
नरम से गद्दे पर भीगी सी मुस्कान
वो सपनो भरी आँखें
वो फिसलती सी जान
वो  रातों की धुंध
वो उजला सा चाँद
लौटा दो बस मुझको 
वो दो मुठी आसमां
वो जीने की चाहत .

 - mystical wanderer 


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