गुमनाम सी बस्ती की
प्यारी सी यादें
धुंधला सा चेहरा
नीली सी रातें
शाम की हवाएं
चुपके से आएं
वो बालों की खुशबू
वो धीमी सी आहें
हर सुबह वो खिला करती थी
हर शाम बालों से
सुर्ख जाम सा छलकती थी
छनछनाती पायलों में
वो थिरकती थी
बदन पर चांदनी सी साड़ी
मानो खुद नाचा करती थी
वो सुबह थी, शाम भी
वो ज़िन्दगी थी, आराम भी
रात की जगमगाहट
सुबह का गान थी
वो थी जीने का मतलब
जीवन का सम्मान थी
दुनिया उसे लाख मनाये
वो कहाँ किसी की सुनती थी
उसमें थी जीने की चाहत
वो हवा से बातें करती थी
पहाड़, नदी, समुन्द्र, रेत
यही सब उसके अपने थे
ढेर सारा पानी
ढेर साड़ी हवा
वही उसके घरोंदे थे
सपनों सा उसका जहां
वो सपनों में रहा करती थी
सच सपना है या सब अपना
व अक्सर सोचा करती थी
उसे नाचना पसंद था
बारिश में नहं पसंद था
वो गाती और खिलखिलाती थी
कभी कभी ख़ुशी सी
ज़ोर से चिल्लाती थी
उसे जानवर पसंद थे
नदिया नाले पसंद थे
वो थी सबसे अलग
गुमनाम बस्ती सी
उसकी एक झलक
Mystical Wanderer
Par wo thi sabse alag,
ReplyDeleteUsko Jal Pari bulaun,
ya bulaun saanpo ki raani,
ya kudrat ki thi oh beti
Pahado ki si lagti thi,
Jhalli si oh rehti thi,
Uski Sapno ki ek duniya thi
Usme kismat walo ki basti thi
par wo thi sabse alag
yahi hai uski ek jhalak.
Par wo thi sabse alag,
ReplyDeleteUsko Jal Pari bulaun,
ya bulaun saanpo ki raani,
ya kudrat ki thi oh beti
Pahado ki si lagti thi,
Jhalli si oh rehti thi,
Uski Sapno ki ek duniya thi
Usme kismat walo ki basti thi
par wo thi sabse alag
yahi hai uski ek jhalak.
Wow... u just made me skip a heart beat. <3 Thanks alot for this. :) :*
ReplyDeleteWow... u just made me skip a heart beat. <3 Thanks alot for this. :) :*
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