Wednesday, April 29, 2015

उसकी एक झलक




गुमनाम सी बस्ती की
प्यारी सी यादें
धुंधला सा चेहरा
नीली सी रातें
शाम की हवाएं
चुपके से आएं
वो बालों की खुशबू
वो धीमी सी आहें

हर सुबह वो खिला करती थी
हर शाम बालों से
सुर्ख जाम सा छलकती थी
छनछनाती पायलों में
वो थिरकती थी
बदन पर चांदनी सी साड़ी
मानो खुद नाचा करती थी

वो सुबह थी, शाम भी
वो ज़िन्दगी थी, आराम भी
रात की जगमगाहट
सुबह का गान थी
वो थी जीने का मतलब
जीवन का सम्मान थी
दुनिया उसे लाख मनाये
वो कहाँ किसी की सुनती थी
उसमें थी जीने की चाहत
वो हवा से बातें करती थी

पहाड़, नदी, समुन्द्र, रेत
यही सब उसके अपने थे
ढेर सारा पानी
ढेर साड़ी हवा
वही उसके घरोंदे थे
सपनों सा उसका जहां
वो सपनों में रहा करती थी
सच सपना है या सब अपना
व अक्सर सोचा करती थी

उसे नाचना पसंद था
बारिश में नहं पसंद था
वो गाती और खिलखिलाती थी
कभी कभी ख़ुशी सी
ज़ोर से चिल्लाती थी
उसे जानवर पसंद थे
नदिया नाले पसंद थे
वो थी सबसे अलग
गुमनाम बस्ती सी
उसकी एक झलक



Mystical Wanderer

4 comments:

  1. Par wo thi sabse alag,
    Usko Jal Pari bulaun,
    ya bulaun saanpo ki raani,
    ya kudrat ki thi oh beti
    Pahado ki si lagti thi,
    Jhalli si oh rehti thi,
    Uski Sapno ki ek duniya thi
    Usme kismat walo ki basti thi

    par wo thi sabse alag
    yahi hai uski ek jhalak.



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  2. Par wo thi sabse alag,
    Usko Jal Pari bulaun,
    ya bulaun saanpo ki raani,
    ya kudrat ki thi oh beti
    Pahado ki si lagti thi,
    Jhalli si oh rehti thi,
    Uski Sapno ki ek duniya thi
    Usme kismat walo ki basti thi

    par wo thi sabse alag
    yahi hai uski ek jhalak.

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  3. Wow... u just made me skip a heart beat. <3 Thanks alot for this. :) :*

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  4. Wow... u just made me skip a heart beat. <3 Thanks alot for this. :) :*

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